लड़ना-झगड़ना, चौकलेट चुराना, इधर-उधर से सीखी गलियाँ धड़ल्ले से बोलना.... कान उमेठे जाने पर भी दांत पिसना.....
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तो फिर भला बाल साहित्य की अन्य रचनाओं के बारे में उन्हें क्या जानकारी होगी? पर बिना जानकारी के भी धड़ल्ले से बोलना हमारे यहाँ कुछ लोगों का सर्वाधिकार है।